करोड़ो- अर्बो रूपयों की हानि पर, कार्यवाही क्यों नहीं होती है......?


 खोजपूर्ण तथा प्रमाणित पत्रकारिता की संख्या 21 पर राहुल मिश्रा कार्यालय मुख्य वन संरक्षक वन व्रत रीवा मध्य प्रदेश (निलंबित) है। यह अनावेदक उपवन मंडल अधिकारी की वरिष्ठा सूची दिनांक 1 अप्रैल सन 2021 में क्रमांक 213 गृह जिला प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं । 

जबकि मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा आयोग से आज असंवैधानिक नियुक्ति लेकर शासन को करोड़ों - अरबो रुपए की हानि करते हुए मलाई वाले कार्यालय में भ्रष्टाचार के कारण निलंबित हैं । पहले भी स्पष्ट किया जा चुका है। जो लोग फर्जी नियुक्ति लेते हैं, वे लोग शासन, प्रशासन ,देश तथा जनता को लूटने वाले ही, होते हैं। 


उत्तर प्रदेश राज्य वन सेवा आयोग को त्याग कर या उत्तर प्रदेश से भाग कर, मध्य प्रदेश राज वन सेवा को भारी रिश्वत देकर तथा धोखे से अवैध नौकरी लेकर, अवैध कार्यों से उक्त अनुसार उग्र डाकुओं से भी ज्यादा, लूट मचाएं हुए हैं और प्रशासन एवं स्वयं शासन अपने कान में तेल डालकर सो रहे हैं।

 ऐसे ही कहा जाता है। "अपना काम बनता !और झक मारे जनता"!! इस प्रकार अपने देश में समाजसेवी तथा पत्रकार सच में झक मारू होकर जी रहे हैं।

 भले ही पत्रकारों को विषम परिस्थिति में अपना परोपकार करना पड़ रहा है किंतु यही सच्चा धर्म है। देखो.....! पवित्र रामायण जी में क्या लिखा है! "पर हित, सरिस धर्म नहीं भाई! पर पीड़ा सम नहीं अधमाई"!! यह सच्चे धर्म की परिभाषा में स्पष्ट है कि आखरत पर पाप पुण्य एवं गुनाह- सवाबो का फैसला होता है। इसलिए मृत्यु के पहले अपनी सही कमाई (पुण्य एवं सवाबो की) जितना ज्यादा हो सके सत्य राह पर ही चलना चाहिए।


वर्षो लगे हैं और वरिष्ठा सूची में शासन प्रशासन को लूटने वाले, ढूंढ कर दिनांक 17 .5.2025 में मुख्य वन संरक्षक वन व्रत रीवा जिला रीवा मध्य प्रदेश को शिकायत प्रेषित की गई है। इसमें कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है और नियम अनुसार प्रमुख सचिव वन विभाग मध्य प्रदेश सरकार एमपी मंत्रालय भोपाल मध्य प्रदेश को दिनांक 24.6.2025 में एक साथ 14 प्रकरण प्रेषित हैं ।इसमें भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। अर्थात शिकायतों पर जांच कर्ता अपनी-अपनी कार्यवाही करते हुए शिकायत को नष्टिबद्ध करते जा रहे हैं, क्योंकि सारा का सारा प्रशासन एवं स्वयं भ्रष्टाचारियों के पक्ष में हो गया है।

 ऐसी भर्राशाही से जनता का भला क्या देश का भला भी बाधित होकर जन आक्रोश की ओर जा सकता है । ऐसी स्थिति पर किसी संगठन को या पार्टी को दोष नहीं देना चाहिए समय रहते शासन के हुक्म रानों(सट्टा धीसों को सचेत एवं सजगता से "डगमग होती देश की नैया" के चलाने वालों को छोटे से पत्रकार की भी बात मान लेनी चाहिए अन्यथा "आच्छे दिन पाछे गए, तब जग से किया ना हेत अब पछताए क्या होत् है, जब चिड़िया चुग गई खेत"!!


वे आवेदक धन्य है जो शीर्ष स्तर तक अपनी परोपकारी शिकायतों को दौड़ते रहते हैं, क्योंकि इससे जांच कर्ताओं के पाप के घड़े जल्दी भरेंगे और शायद पाप के घड़े फूटने से ही अच्छे दिन आने वाले हैं। परिवर्तन चक्र पर जनता अपनी आस लगाई हुई है अतः "सत्यमेव जयते" को शीघ्र समझा जाना चाहिए। यह एक सनातन वाक्य ही है क्रमशः............!
बने रहें आगामी समाचार डीडी इंडिया न्यूज़ के साथ।


(सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट)

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