आखिर! १५ शिक्षक, मध्य प्रदेश शासन को कब तक लूटते रहेंगे?

मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में मशहूर होने वाले 15 शिक्षकों में बसंत कुमार उईके (वरिष्ठ अध्यापक) के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पीपरडाही विकासखंड सिवनी मध्य प्रदेश में है, जो आठवी शिक्षक हैं। प्रत्येक शिक्षकों को अलग-अलग मशहूर किया जा रहा है। इससे समूचे मध्य प्रदेश के शिक्षकों को भी पता चल सके, कि मध्य प्रदेश शासन इन शिक्षकों से कैसे प्रति माह लुटते आ रहा है? यह लूट दिनांक 26 /9/ 2014 से बसंत कुमार उईके करते आ रहे हैं। यह खोजी पत्रकारिता के तहत प्रमाणित समाचार है । जिसे शासन की दशा का सीधा-सीधा, किंतु गम्भीर प्रसारण समझे । पत्रकारिता जनता और सरकार के बीच की प्रजातंत्र और जनता के बीच की कड़ी है। यह सत्य है कि पत्रकारिता दो धारी तलवार है इसीलिए आजकल बहुतेरे "बिना धार "की तलवार से गोदी मीडिया का लकप पहने हुए हैं। पत्रकारिता प्रजातंत्र, जनता एवं राष्ट्र सुरक्षा के तहत ही होना चाहिए। अन्यथा राजाओं के भाट और पत्रकारिता पर अंतर ही क्या रहेगा? जिले के तीन अधिकारी आदिवासी विभाग, जनपद विभाग तथा शिक्षा विभाग ने इस जटिल भ्रष्टाचार में अपने- अपने विभाग की नाक कटा दिए हैं। और शासन की अनदेखी जिला कलेक्टर की अनदेखी से जनता हैरानी महसूस कर रही है। इसलिए जनता अब अपनी चर्चित वाणी में कहने लगी है कि सभी को जेल भेजो (अधिकारियों एवं 15 शिक्षकों को) क्योंकि भ्रष्टाचार की प्रति माह को लूटने का षड्यंत्र की अती हो गई है। जैसे शासन तो लूट रहा है और प्रशासन एवं शासन के नुमाइंदे इसमें उल्लू की तरह देख रहे हैं इस लूट खसूट के इस तमाशा में अपने ही शासन को अपने कपड़े की तरह फाड़ रहे हैं यह उल्टी खोपड़ी की समझ आखिर लूटम लाट की कमाई चलती रहेगी । राष्ट्र की उन्नति जिस प्रकार युद्ध क्षेत्र में देख पढ़ रही है। ऐसे भ्रष्टाचार में ताबड़तोड़ कार्यवाही भी होना चाहिए। यह जनता का चर्चित स्वभाव है क्योंकि भ्रष्टाचार करने वाले देश के आंतरिक शत्रु जैसे ही हैं जो शासन को पंगु (लंगड़ा) बनाकर स्वयं प्रशासन में अपनी जड़े जमा कर देश की न्यायकारी व्यवस्था को नाश किये जा रहे हैं। यह भी जन चर्चा के अंतर्गत सुझाव है। अपेक्षा है कि यह आठवीं किस्त है। सात किस्तों के समाप्त होने से पहले पी आर ओ या सीबीआई या जिला कलेक्टर संस्कृति जैन या राष्ट्र के हितेषी संगठनों को राष्ट्र के तहत आगे आना चाहिए। इस प्रकरण में युद्धक स्थिति से भ्रष्टो पर प्रहार ऐसे होना चाहिए। जैसे अतिक्रमण पर बुलडोजर की चाल होती है। अभी तक इस प्रकरण में जनता को लालीपाप देने वालों के अलावा कोई आगे नहीं आया है। एक तो है लेकिन क्या विपक्ष थैली में ही रहेंगे या उसी एक से सब काम संभव हो जाएगा। जनता भ्रष्टाचार पर गंभीरता से कार्यवाहियों की दुआएं कर रही है। कहावत है कि "कौंवा के कोसने से बैल नहीं मरता" है, किंतु जनता की प्रार्थना से राष्ट्र कल्याण आवश्यक हो रहा है और अब राष्ट्र अग्रणीय हो रहा है इससे स्पष्ट है कि विश्व कल्याण भी होने लगेगा अब हम सही समय की और अग्रसर हुए हैं। ........ बने रहे आगामी समाचार डी डी इंडिया न्यूज़ के साथ । जिला चीफ ब्यूरो सुशील दास की रिपोर्ट

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