आदिवासियों को "विश्वासघात"की चोट पर चोट!

श्री विवेक कुमार सक्सेना वरिष्ठ अध्यापक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हथनापुर विकासखंड सिवनी मे सहयोग से शासन प्रशासन के सहयोग से आदिवासी समाज के साथ विश्वास घात किया है। यह 15 शिक्षकों में दसवां शिक्षक है और इस प्रकार यह खोजी पत्रकारिता की स्वप्रमाणित दसवीं किस्त है। इसमें सन 2014 से आदिवासियों को जिला सिवनी मध्य प्रदेश में 15 शिक्षक एजुकेशन से ट्राइबल में आगमन हुआ था। इससे आदिवासी खुश हुए, शासन प्रशासन भी आदिवासी विकास पर सहमत दिखे थे। फिर नाटकी ढंग से 6 माह बाद, ये एजुकेशन शिक्षक पुन:एजुकेशन पर चले गए हैं। यही आदिवासियों के साथ विश्वासघात पर निरंतर विश्वासघात की चोट पर चोट है। 6 माह बाद एजुकेशन के 15 शिक्षकों को वरिष्ठ प्राध्यापक का प्रमोशन नियम अनुसार दे दिया गया है , परंतु इन 15 शिक्षकों को पुनः एजुकेशन पर जाने का कोई भी नियम नहीं है।इसमें जिला प्रशासन (सन 2014 में)गंभीर रूप से दोषी एवं जिम्मेदार सिद्ध हुआ है । 15 शिक्षक जिले के चार अधिकारी और कृषि मंत्री शिक्षकों को ट्राईबल से एजुकेशन पर लिए जाने पर अपनी स्वीकृति प्रत्येक शिक्षक को दिए हैं। इस मध्य प्रदेश शासन के मंत्री को इतनी भी सद्बुद्धि नहीं रही है ।कि यह शिक्षा विभाग यहां कृषि विभाग की सीमा का खड़ा उल्लंघन हुआ है। इसमें भ्रष्टाचार करते हुए 15 शिक्षकों से रिश्वत ली गई है ।और मंत्री महोदय के नाम को शिक्षकों के आदेश में इसलिए नहीं लिखा गया है। यह शासन के मंत्री आदिवासियों की लूट में शामिल होने से मध्य प्रदेश शासन स्वयं छला सा रह गया है। इस प्रकार नियम विरुद्ध पुनः एजुकेशन पर आने से आदिवासियों के साथ घोर अन्याय है और जिला सिवनी मध्य प्रदेश के जिला अध्यक्ष, आदिवासी विकास अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी और जिला पंचायत की प्रियंकादासअधिकारी पर एफ आई आर लगाकर अग्रिम कार्यवाही आदिवासी संगठनों का काम है, क्योंकि इसमें कानून तोड़कर आदिवासियों की लूट आज भी हो रही है ,क्योंकि प्रमोशन रिश्वतखोरों के कारण हुआ है, लेकिन प्रमोशन के इंक्रीमेंट का लाभ, प्रति माह वेतन में 15 शिक्षकों को मिल रहा है। इसमें शासन प्रशासन की स्थिति साफ छछुंदर जैसी बनी हुई है ।इसे समझना अनिवार्य है। यदि चूहे के धोखे में छछूंदर को सांप पकड़ लेता है। तब छछूंदर को खाने से सांप मर जाता है और यदि छोड़ता है। तब उसे अंधा होना पड़ता है। इसे कपोल कल्पना नहीं समझे, क्योंकि यह रामचरित्र मानस के पवित्र ग्रंथ में "डंके की चोट सा लिपिबद्ध है। कृपया चौपाई का उदाहरण देखें ।भई गति सांप छछूंदर केरी ।उगलत निकलत पीर घनेरी ।।यहां उक्त कहावत सु स्पष्ट हो चुकी है। इससे भ्रष्टाचार के चूहे के चक्कर में छछूंदर खाने वाले 15 शिक्षक ,जिले के चार अधिकारी ,प्रशासन, शासन ऐसे फंसे हैं। उक्त में शासन प्रशासन इसमें कतई कार्यवाही नहीं करेगा। जैसे सांप उगलत -निघलत बिना ही जितनी सांस ले सकता है ,उतनी लेते रहता है और अंत में मनुष्य को पता चलता है तब सांप की मृत्यु निश्चित है इसीलिए खुले तौर से आदिवासी संगठनों को बताया जा रहा है कि आपके समाज को विश्वास घात की बारम्बार चोट ,कानून तोड़कर सामूहिक रूप से आदिवासियों के साथ छल और लूट का तमाशा करने वालों को माननीय हाईकोर्ट की शरण में जाकर ,कृपया अपने समाज का कल्याण करें। अन्यथा यह कलंक का टीका आदिवासी समाज की शोभा को धूमिल कर रहा है। इसमें सही आदिवासी संगठन सामने आकर कार्यवाही कराएगा। तब भ्रष्टाचार की जड़े खुद उखड़ जायेंगी फिर ऐसा भी हो जाएगा। जैसे आदिवासी की आड़ में, भ्रष्टाचारी चले भाड़ में !अतः चने की तरह फुटकर ,अपने अहंकार की सजा स्वयं पाएंगे। बने रहे आगामी समाचार डीडी इंडिया न्यूज़ के साथ। (जिला ब्यूरो चीफ सुशील चौरसिया जी रिपोर्ट)

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