सचिव शिवकुमार हनवत पर लगे गंभीर आरोप!



 *बरघाट में आरटीआई कार्यकर्ता व पत्रकार पर सचिव का हमला* 


 *सच छिपाने वालों का सच उजागर करने पर हमला* 


 *ग्राम सचिव ने पत्रकार को सड़क पर रोका, जातिसूचक गालियां दीं, कॉलर पकड़कर धक्का दिया, जान से मारने को आमादा!साथी ने मोटरसाइकिल गिराई, वाहन क्षतिग्रस्त* 


बरघाट (सिवनी)/जनसुनवाई और भ्रष्टाचार उजागर करने का साहस दिखाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार पर हमला, बरघाट क्षेत्र में एक बड़े विवाद का रूप ले चुका है। 

ग्राम पंचायत साल्हेकलां में पदस्थ सचिव शिवकुमार हनवत पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने रविवार की शाम खुलेआम सड़क पर पत्रकार विजयकांत खरे (27 वर्ष) को रोककर जातिसूचक गालियां दीं, शारीरिक हमला किया, जान से मारने के लिए आमादा हुए और विजयकांत खरे की मोटरसाइकिल क्षतिग्रस्त कर दी।


              *घटना का पूरा विवरण* 


पीड़ित विजयकांत खरे, निवासी ग्राम साल्हेकलां, अनुसूचित जाति (चमार) समाज से आते हैं। वे आरटीआई कार्यकर्ता होने के साथ-साथ पत्रकारिता से भी जुड़े हैं। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि दिनांक 22 जुलाई 2025 की शाम लगभग 7 बजे, वे अपने पड़ोसी के साथ मोटरसाइकिल से बरघाट से साल्हेकलां लौट रहे थे।


इसी दौरान बरघाट मंडी रोड पर सामने से सचिव शिवकुमार हनवत अपने साथी के साथ मोटरसाइकिल पर आया,खरे को देखते ही वह रुक गया और गालियां बकते हुए पास आ गया। उसने अपने साथी से कहा “यही है मा....... जिसने शिकायत की है।” इसके बाद उसने पीड़ित का कॉलर पकड़ लिया और जोर-जोर से जातिसूचक शब्द कहे “नीच जात चमार, हरामखोर, तूने हमारे खिलाफ शिकायत की है, उसे तुरंत वापस ले ले, नहीं तो तुझे जान से मार दूंगा।”


इसी बीच उसके साथी ने भी अपशब्द कहे और विजयकांत खरे की मोटरसाइकिल को लात मारकर गिरा दिया, जिससे दोनों इंडिकेटर टूट गए और वाहन क्षतिग्रस्त हो गया।


        *शिकायत की पृष्ठभूमि बनी वजह* 


पीड़ित ने बताया कि उन्होंने शिवकुमार हनवत और उसकी पत्नी रेशमा हनवत (शिक्षक) के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। आरोप है कि दोनों पति-पत्नी ने अपनी संतान की सही जानकारी छिपाकर शासकीय नौकरी प्राप्त की है, जो नियम विरुद्ध और असंवैधानिक है। यही कारण है कि सचिव हनवत, पत्रकार से बौखलाया हुआ है और शिकायत वापस लेने का दबाव बनाने के लिए उसने यह कृत्य किया।


     *पत्रकार पर हमला, समाज में आक्रोश* 



इस घटना ने न सिर्फ पीड़ित बल्कि पूरे अनुसूचित जाति समाज में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। लोगों का कहना है कि जब एक शासकीय सेवक, जो कानून का पालन कराने और जनता की सेवा करने के लिए नियुक्त है, खुद ही खुलेआम कानून तोड़े और जातिगत अपमान कर हमला करे, तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित रहेंगे ? 

समाज के लोगों का कहना है कि यह हमला केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि लोकतंत्र की आवाज़ दबाने का प्रयास है। एक आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार पर हमला, सीधे-सीधे सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है।


      *पुलिस से कड़ी कार्यवाही की मांग* 



विजयकांत खरे ने थाना प्रभारी बरघाट को लिखित आवेदन देकर आरोपियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर एससी/एसटी एक्ट,में शासकीय सेवक द्वारा कदाचार की धाराओं में कड़ी कार्यवाही की मांग की है, सचिव शिवकुमार हांवत द्वारा रास्ते में रोक कर मरने हेतु आमादा हुए,ऐसे मामले में थाना प्रभारी को उक्त सचिव के विभाग से अनुमति लेने की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है, उक्त आरोपी व्यक्ति पर मामला पंजीबद्ध करने हेतु थाना प्रभारी स्वतंत्र है, स्थानीय लोग भी प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी शासकीय सेवक या दबंग व्यक्ति आरटीआई कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की आवाज़ दबाने की हिम्मत न कर सके।


                *प्रशासन की परीक्षा* 



अब पूरा क्षेत्र देख रहा है कि क्या प्रशासन इस घटना पर सख्त कदम उठाता है या फिर मामले को दबाने की कोशिश की जाती है। पत्रकार संगठन इस घटना को लेकर लामबंद होने लगे हैं और जल्द ही आंदोलन की चेतावनी भी दी जा सकती है। यह घटना सिर्फ एक पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है।

अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन ऐसे मामलों में दोषियों पर कठोर कार्रवाई करेगा या आर्थिक लिप्सा के लालच में, दबंगों को पुलीस प्रशासन के रहम करम पर छोड़ दिया जाएगा ।

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