फर्जी आदिवासी बनकर, "देश को लूट रहे " हैं और शासन प्रशासन सहयोगी, क्यों हो रहे हैं........?


 देश में एस टी एवं एस सी की फर्जी वाड़े से अवैध नौकरियां धड़ल्ले से चलाई जा रही हैं और यदी तब प्रशासन शासन चुपचाप है। तब सिद्ध हो रहा है । इसमें प्रशासनिक अधिकारी एवं मंत्रालय सहित शासन स्वयं लाभम्- लाभे लाभानि  का खेल चला कर उसी  जहाज को डुबाना  चाह रहें है ।जबकि इस जहाज स्वयं सफर रहे हैं । 

 ऐसे -जैसे शाखा में बैठने वाले मूर्खा नदों को कौन समझाए जिसमें शाखा के साथ स्वयं गिरना या जहाज रूपी देश में स्वयं डूबना मूर्खनंदों की इस उल्टी खोपड़ी को देश के कर्ण धारी नेताओं को ठीक करना चाहिए अन्यथा भगवान ही मालिक सबका साथी है। 


अति सर्वत्र वर्जेत् के तहत जनता को प्रमाण दें । जिससे जनता संतोष करें और विश्वास हो जाए तथा फर्जी जाति वाले जेल जाने लगे । अन्यथा ज्यादा दिनों तक नहीं चलता है। इसलिए सटत्ताधिशो  को समय रहते आगाह किया जा रहा है। वैसे लगभग सब ठीक-ठाक है, परंतु फर्जी नौकरी से फर्जी वाड़ा का राज खत्म होना चाहिए। 
कृपया प्रमाण देखें पहले एक से 20 खनिज अधिकारी फर्जी जाति की नौकरी से देश को लूट रहे हैं और बेरोजगार अपने ईश्वर एवं दुर्भाग्य को कोष रहे हैं। दिनांक 3/ 4 /2025 का पत्र पढ़ने वालों के दिमाग जागकर आकर्षित हो जाएंगे लेकिन अभी  भी सत्ता धीशो पर अब भी आशाएं बनी हुई हैं। कृपया जन आक्रोश को ठंडा करते रहने हेतु फर्जी जाति वालों पर तत्काल कठोर कार्रवाई चालू करें अर्थात 90 दिनों से अपने जाति प्रमाण पत्र की जांच मांगी जाए और जिसकी जांच  अप्राप्त होती है ।

 तब उसकी वेतन रोक दी जाना चाहिए 6 माह बाद इसकी कार्यवाही कारण बताओ के नोटिस से जिला अध्यक्ष द्वारा जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले जिला कलेक्टर से एवं एसपी से रिपोर्ट लेकर विभाग द्वारा तत्काल गंभीर कार्यवाही से भारत का देश रूपी डगमगाता हुआ जहाज को सहारा मिल जाएगा और सत्ता धीशों पर क्रोध समाप्त हो जाएगा। 


कृपया उक्त दो प्रमाणों के बाद यह तीसरा प्रमाण दिनांक 5.5.2025 को देखें मध्य प्रदेश शासन को करोड़ों अर्बो की हानि अर्थात जनता की लूट बेरोजगारों की नौकरी फर्जी प्रमाण पत्र वालों को  दी  गई है । इसलिए कार्यवाही करो! यह आने वाली विषम परिस्थितियों , चीख-चीख कर कह रही अर्थात हालत बोल उठे है । लेखक स्वयं राष्ट्र कल्याण के तहत जगतगुरु की राह देख रहा है । 
कृपया सोशल न्यूज़ की रिपोर्ट देखें अधिकारियों और कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज है।

 ग्वालियर / 
भोपाल 12 अगस्त 2025*मध्य प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र घोटाला: MP STF की बड़ी कार्रवाई, 25 अधिकारियों और कर्मचारियों पर FIR दर्ज*


     *ग्वालियर/भोपाल, 12 अगस्त 2025:*


मध्य प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करने के एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। मध्य प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स *(MP STF)* ने इस मामले में कड़ा कदम उठाते हुए प्रदेश भर में *25 अधिकारियों* और कर्मचारियों के खिलाफ FIR दर्ज की है।  

इस कार्रवाई में *ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के तीन डॉक्टरों और एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर* सहित कई बड़े नाम शामिल हैं, जिन्होंने फर्जी अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) प्रमाण पत्रों का उपयोग कर नौकरी प्राप्त की थी।


           *घोटाले का खुलासा*


यह मामला ग्वालियर के गौरीशंकर राजपूत की शिकायत के आधार पर सामने आया, जिसके बाद STF ने प्रदेशव्यापी जांच शुरू की। जांच में पता चला कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र मुख्य रूप से ग्वालियर, भिंड, और मुरैना से जारी किए गए थे। यह नेटवर्क ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से लेकर इंदौर, शाजापुर, विदिशा, होशंगाबाद, और बैतूल तक फैला हुआ था।


         *प्रमुख आरोपियों में कौन?*


STF की कार्रवाई में ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल के तीन डॉक्टरों—डॉ. दिनेश मांझी (एनाटॉमी विभाग), डॉ. विनोद मांझी (पैथोलॉजी विभाग), और डॉ. सुमन उर्फ सीमा मांझी (बायोलॉजी विभाग)—के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। इसके अलावा, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर रजनीश कुमार का नाम भी इस सूची में शामिल है। अन्य आरोपियों में राजस्व, पुलिस, मेडिकल, और लोक निर्माण विभाग (PWD) के कर्मचारी शामिल हैं, जैसे जवाहर सिंह, सीताराम, सरला देवी, राजेश कुमार, कुसुमा देवी, सुनीता रावत, और अन्य।


            *फर्जीवाड़े का तरीका*


जांच में सामने आया कि फर्जी प्रमाण पत्र बनाने में सरकारी दफ्तरों के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत थी। ये प्रमाण पत्र SDM या तहसीलदार कार्यालयों से जारी किए जाते हैं, और आरोपियों ने न केवल फर्जी दस्तावेज बनवाए, बल्कि जांच के दौरान इनकी वैधता की रिपोर्ट भी बदलवाई। इस तरह, फर्जी प्रमाण पत्रों को असली बताकर नौकरी हासिल की गई। STF ने संकेत दिए हैं कि प्रमाण पत्र जारी करने वाले कर्मचारी भी जांच के दायरे में हैं, और उनके खिलाफ जल्द कार्रवाई हो सकती है।


  *जांच का दायरा और भविष्य की कार्रवाई*


STF का अनुमान है कि इस घोटाले में शामिल लोगों की संख्या 50 से अधिक हो सकती है। जांच में राजस्व, पुलिस, मेडिकल, और PWD जैसे विभिन्न विभागों के कर्मचारी रडार पर हैं। STF के SP राजेश सिंह भदौरिया ने बताया कि यह एक संगठित अपराध है, और विस्तृत जांच में और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।


          *गंभीर सामाजिक प्रभाव*


इस घोटाले ने समाज में असमानता और आरक्षण प्रणाली के दुरुपयोग का गंभीर मुद्दा उठाया है। मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य प्रदीप अहिरवार ने दावा किया कि ऐसे फर्जीवाड़े सत्ता और प्रशासन के उच्च पदों तक फैले हैं।

 उन्होंने मोहन सरकार की राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी के जाति प्रमाण पत्र पर भी सवाल उठाए, जिसे लेकर जांच की मांग की है। अहिरवार ने कहा कि इस तरह के फर्जीवाड़े से वास्तविक पात्र लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो रहे हैं।


       *सरकार और STF की प्रतिबद्धता*


MP STF और राज्य सरकार की इस कार्रवाई की सराहना हो रही है। यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि फर्जीवाड़े पर सख्ती से रोक लगेगी। STF ने स्पष्ट किया है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोका जा सके।


*यह मामला न केवल प्रशासनिक भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि समाज में आरक्षण प्रणाली के दुरुपयोग की गंभीरता को भी दर्शाता है। STF की इस कार्रवाई से यह संदेश गया है कि फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जांच अभी जारी है, और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।*



{सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट}

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