शासन और प्रशासन भ्रष्टाचार में कमान्ध होते जा रहा है। लगभग 15 फर्जी उपवन मंडल अधिकारियों की शिकायतों के पश्चात इसमें 14 व अभियुक्त, मुख्य वन संरक्षक वन व्रत भोपाल मध्य प्रदेश के अंतर्गत है।
नाम पंकज सिंह (एस डी ओ) उप प्रबंधक मध्य प्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड भोपाल जिला भोपाल मध्य प्रदेश जैसी मलाई वाली जगह में मनमर्जी के भ्रष्टाचार से शासन प्रशासन के आल्हा अधिकारियों को "पोषित" कर रहा है।
यदि ऐसा नहीं कर रहा है। तब वर्षों मध्य प्रदेश के एक बेरोजगार के परिवार को दुखी करते हुए प्रशासन एवं शासन की बेज्जती क्यों करा रहा है? क्या सभी एक जाति वाद के हैं?
यह खोजी पत्रकारिता एवं प्रमाणित किस्त देश में भ्रष्टाचार की अति से दुर्गति तक के हाल चालों को बता रही है। यह अनावेदक उपवन मंडल अधिकारियों की वरिष्ठा सूची की दिनांक 1 अप्रैल सन 2021 में क्रमांक 171 पर गृह जिला वाराणसी एवं उत्तर प्रदेश अंकित है और उल्टी खोपड़ी वाले मध्य प्रदेश राज्यवन सेवा आयोग ने भारी- भरकम रिश्वत लेकर धोखे के बहाने पर वर्षों से शासन को और प्रशासन को मूर्ख बना रहे हैं यदि ऐसा है।
तब प्रशासन के अधिकारी साहबों एवं शासन को क्या महामूर्ख बनने की आदत हो चुकी है, जो ऐसे लोगों को रिटायरमेंट के बाद भी हरामखोरी के इनाम जैसी मासिक पेंशन देकर "बेरोजगारी की ईमानदारी" का मजाक बनाकर रख दिया गया है।
उत्तर प्रदेश राज्यवन सेवा आयोग से नियुक्ति नहीं लेना और मध्य प्रदेश राज्यवन सेवा आयोग से नियुक्ति लेकर मध्य प्रदेश की छाती में ऐसे (लगभग 45 नियुक्ति के लोग) चढ़े हुए हैं और जनता को मूर्खानंद मानकर चल रहे हैं । दिनांक 14 /5/2025 में सीसीएफ भोपाल मध्य प्रदेश को और दिनांक 23 / 24 6.2025 में प्रमुख सचिव वन विभाग मध्य प्रदेश सरकार एमपी मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल मध्य प्रदेश को शिकायत प्रेषित हैं। कार्यवाही कोई भी नहीं कर रहे हैं।
सीसीएफ अपनी रिश्वत का उल्लू सीधा करके अपने उच्च अधिकारी को रिश्वत लेने हेतु उच्च अधिकारी इसमें कार्यवाही करें । ऐसा प्रतिवेदन लेख कर भेजा जाता है और उच्च अधिकारी भी अपने उच्च अधिकारी को पत्र लिखकर इसी प्रकार सभी लोग अपनी-अपनी रिश्वत का कमीशन लेने का उल्लू सीधा कर रहे हैं।
उक्त अनुसार यह लोग आस्थावान कतई नहीं है।
अन्यथा ईश्वर का न्याय और दंड का विधान स्पष्ट है, जो जमीनी न्यायालय से ऊपर श्रेष्ठतम तथा परम न्याय है, लेकिन धार्मिक ग्रंथो का ज्ञान नहीं होने से, रिश्वत का धंधा महा विष के खाने या खिलाने जैसा, अति गंभीर अपराध माना गया है । इसमें नास्तिकों पर कोई नियम लागू नहीं है और जब विश्व के नास्तिक देश का अंत, लगभग अंत सा आसमानी प्रदर्शन होगा।
तब जनता ऊपर वाले के न्याय की चर्चा- चर्चा करते नहीं थकेगी हो सकता है अणु या परमाणु बम से पहले या तत्काल, बाद में आध्यात्मिक बम सारे विश्व को चकित कर दे । सत्यमेव जयते के प्रतिष्ठित होने का विश्वस्तरीय परिवर्तन कारी, काल चक्र का सभी को इंतजार है।
(सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट )