देखो! वन विभाग एवं उच्च शिक्षा विभाग की लूटम- लाट कैसी चल रही है....?


वन विभाग में भ्रष्टाचार की अति, देश अब जनता की दुर्गति का कारण बन रहा है , क्योंकि मुख्य वन संरक्षक वन व्रत जिला सिवनी मध्य प्रदेश ,दक्षिण सामान वन मंडल जिला सिवनी मध्य प्रदेश के द्वारा मजदूरों से वनों में काम कराए हैंऔर दिनांक 1 नवंबर से दिनांक 31 दिसंबर 2024 तक में मजदूरों की संख्या कुल खर्च राशि योजना कार्य का नाम राशि प्राप्त होने का प्रमाण दो माह 1 नवंबर से 31 दिसंबर में मजदूरों पर खर्च राशि की जानकारी नहीं दी गई है

 और इस प्रकार भोपाल के अधिकारी प्रमुख के द्वारा करोड़ों करोड़ों रुपए की राशि देकर फर्जी वाड़े से भ्रष्टाचार कराया गया है 

इसमें वन मंडल अधिकारी उपवन मंडल अधिकारी एवं रेंजरो से फर्जीवाड़ा के कार्यों के कागजों की फर्जी रचना करते हुए करोड़ों- करोड़ों रुपए की राशि में सिवनी जिले के उक्त सभी अधिकारियों ने हड़प कर रखे हैं। 


इसलिए जानकारी छुपाई गई है इस प्रकार दिनांक 6.1.2025 की आरटीआई पर भ्रष्टाचारियों ने कोई भी जानकारी नहीं दिए हैं इसी प्रकार प्रथम अपील पर भी कोई जानकारी नहीं दिए हैं ।

जबकि दिनांक 12.2.2025 में बार-बार जानकारी नहीं देना एक और राष्ट्रीय अधिनियम की "खटिया खड़ी करते हुए भ्रष्टाचार करना सिद्ध" हो रहा है।


व्यथित होकर मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग भोपाल मध्य प्रदेश को द्वितीय अपील दिनांक 16/ 4/ 2025 में प्रेषित है ।कृपया यह प्रमाण देख सकते हैं ।करोड़ों - करोड़ों रुपए के फर्जी वाड़े से मजदूरी के नाम पर भारी से भारी भ्रष्टाचार हुआ है। 

इसमें मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग भी अपना - अपना कमीशन लेकर अपराधियों को बचाने वाला निर्णय करने लगा है। देश में सभी को लूटमलाट की बीमारी लगती जा रही है। 


इस प्रकार देखना है कि शीर्ष स्तर तक के अधिकारी पकड़े जाते हैं या भ्रष्टाचार की राशि को आपस में बाटकर शिकायत एवं आरटीआई में कोई भ्रष्टाचारी बचाव दांव खेलते हैं, क्योंकि अब द्वितीय अपील करने के बाद भी जानकारी नहीं दी जाती है ।

इसका उदाहरण हाल ही में श्रीमती विनीता रामा सहायक प्राध्यापक (समाजशास्त्र )शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जिला छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश की आईटीआई घटना में द्वितीय अपील जबरन सुनवायी कराई गई है ।

 इसलिए अनावेदिका के अनुसार ही फर्जी निर्णय दिया गया है और इसके बाद उच्च शिक्षा भोपाल मध्य प्रदेश में दूध का दूध अर्थात उसके कूट रचित फर्जी जाति प्रमाण पत्र को कार्यवाही हेतु बुला लिया है। इससे अब ऊंट पहाड़ के नीचे, से चल रहा है । इसे पूरा देश भ्रष्टाचार का नहीं है।

 यहां भोपाल उच्च शिक्षा ने न्याय का डंका बजाया है और माननीय आयुक्त मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने अपनी कमाई नहीं छोड़ा और अन्याय कर बैठे हैं ।अभी यह देखना भी शेष है की सूचना आयोग भोपाल मध्य प्रदेश पर भविष्य में क्या-क्या कार्यवाही होती है । कृपया सत्यमेव जयते को ठीक से महसूस करें, क्योंकि परिवर्तन चक्र की स्पीड बढ़ते जा रही है।
बने रहे आगामी समाचार डी डी इंडिया न्यूज़ के साथ।

(सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट)

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