क्या वन विभाग और वन माफिया एक ही सिक्के के, दो पहलू हैं......?

 

संचालक पेंज टाइगर रिजर्व (वन प्रांणी) जिला सिवनी मध्य प्रदेश की एक चोरी की घटना पूरे प्रदेश में मशहूर हुई है। जिसमें रिजर्व फॉरेस्ट से आठ लट्ठो को परिवहन करते हुए स्वयं रिजर्व फॉरेस्ट की जिप्सी में जिप्सी को दक्षिण सामान वन मंडल के चेक पोस्ट में पकड़ा गया था जिसमें परमानंद जी समाज सेवी एवं अन्य ने यह वनोंपज की चोरी में फॉरेस्ट रिजर्व को रंगे हाथों पड़कर और जकड़ कर मामला लिपिबद्ध कराया था इस प्रकार सिवनी जिला मध्य प्रदेश का रिजर्व फॉरेस्ट स्वयं सिद्ध हुआ है। इस प्रकरण में कोई भी संतोषजनक कार्रवाई नहीं हो पाई है । 

जैसे जिप्सी पर ड्राइवर पर 8 से 7 लट्ठे होने पर एक लट्ठा गायब होने पर आज तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है। जबकि संचालक पेंज टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट एवं सभी जिम्मेदार है। 

और इन्हें तो चुल्लू भर पानी में डूब के मर जाना चाहिए। 

इस प्रकार वन विभाग, वन माफिये में मर्ज होकर स्वयं फॉरेस्ट और स्वयं चोर है। इसलिए दिनांक 26 5.2025 की आरटीआई पर राष्ट्रीय अधिनियम की मानहानि करते हुए कोई भी जानकारी विगत पांच 6 अप्रैल 2025 की ट्रक से, लट्ठे चोरी की वारदात पर, पहले की भांति लीपा पोती कार्यवाही से वन माफियो को छुपाया गया है और सूचना का अधिकार की भी घटिया खड़ी करी गई है। इसमें एक नाबालिक लड़का भी था जिसे अब छुपाया गया है।

 इस प्रकार स्वयं चोर की भूमिका से पुलिस भी अपना कमीशन लेकर अथवा असमंजस का शिकार होकर, कोई ठोस कार्यवाही या जांच नहीं करती है। यदि जांच कार्यवाही करते हैं, तो 8 वर्ष में प्रकरण की कार्यवाही होगी, क्योंकि जांच एजेंसी के पास स्टाफ की भारी कमी है ।

अर्थात "साहूकार विभाग मरते रहे और चोर मौज करते रहे"।
परिक्षेत्र अधिकारी खवासा (बफर) पेंच टाइगर रिजर्व जिला सिवनी मध्य प्रदेश का पत्र क्रमांक / 642 खवासा / दिनांक 29 4 2025 । इसमें परिक्षेत्र में पंजीबद्ध अवैध रूप से सागौन की लकड़ी चोरी का प्रकरण की विभागीय जांच जारी है । ऐसा लेख कर जांच छुपाई गई है। 

परिणाम का जब दिनांक 19.6.2025 पर प्रथम अपील एवं संचालक पेंच टाइगर रिजर्व जिला सिवनी मध्य प्रदेश को प्रस्तुत की गई है। आवेदक को पेशी पत्र दिया गया है । जैसे आवेदक ने कोई गुनाह कर लिया हो, क्योंकि आवेदक वादी या प्रतिवादी हरगिज नहीं है। इस प्रकार अंत में जानकारी नहीं दी गई है। 

इससे वन माफिया को बचाव की भरपूर कोशिश में कार्यवाही को लीपा - पोती करते हुए ऐसे ही समाप्त कर देंगे। जैसे 8 लट्ठे सागौन के और फिर डिपो में रखें गये और सात हो गए ।एक लट्ठा आसमान ने खाया है या जमीन ने निकाली है इसका आज तक में कोई पता नहीं चला है । 

इस प्रकार कार्यवाही का ढोंग करते हुए चोरी को बचा बचा कर भोपाल तक के अधिकारियों को कमीशन दिया जा रहा है। यदि चोरी के माल में लीपा पोती और चोरों का खुलासा या चोरों को जेल क्यों नहीं पहुंचाया जाता है।

 जिप्सी पकड़ी गई थी उसका मामला जिप्सी को जांच से हटाया गया और इसमें एक शागोन का लट्ठा वन माफियो ने गायब करें हैं जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

 खुद ही वन विभाग और खुद ही वन माफिया बने हुए हैं इसीलिए कहावत है "भाड़ में जाए जंगल और जनता भ्रष्टाचारियों का काम बनता "
यहां विचारणीय तर्क है कि वन विभाग में पहले जैसी चोरी पड़कर, वाहन और चोरों को पड़कर, कार्यवाही होती थी और अब उन्हें छोड़कर जैसे इस प्रकरण में नाबालिक, ट्रक ड्राइवर एवं उस लकड़ी को रखने उठाने वाले मजदूर सभी को बचाने का षड्यंत्र वन विभाग का मुख्य उपदेश बना हुआ है। यहां तसल्ली के लिए एक कहावत को याद कर लेना चाहिए जब तक पाप का घड़ा भरता नहीं है। 

तब तक फूटता भी नहीं है। अब पाप के घड़ो के फूटने का समय बहुत नजदीक आता जा रहा है। हल्की-फुल्की कार्यवाही घड़े फूटने की हो रही है। यह तूफान के आने से पहले का सन्नाटा मात्र है । 

"सत्यमेव जयते "आखिर जब सत्य की ही जीत होती है, तो असत्य कब तक टिकेगा......?

{सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट}

Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form