मध्य प्रदेश में, "कमाऊ पूतों" को,आखिर क्यों पाला जा रहा है.....?


 अनावेदक मनोज कुमार सिंह भदोरिया उपवन मंडल अधिकारी उत्पादन वन मंडल सामान्य जिला सीहोर मध्य प्रदेश में वरिष्ठा सूची की दिनांक 1 अप्रैल सन 2021 क्रमांक 168 एवं गृह जिला इटावा अर्थात उत्तर प्रदेश के निवासी हैं , और मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा आयोग को भारी भरकम रिश्वत देकर तथा झांसा देकर आज संवैधानिक नौकरी कर रहे हैं ,और प्रदेश के बेरोजगारों पर किसी भी प्रशासन अथवा शासन को शर्म तक नहींआई है। 


भ्रष्टाचार में आजकल लगभग सभी अंधे हो चुके हैं। अतः उक्त शीर्षक आंखों वाले अंधों के लिए ही प्रयुक्त किया गया है। 


उत्तर प्रदेश राज्य वन सेवा आयोग की बजाय मध्य प्रदेश राज्य वन सेवा आयोग के प्रशासनिक अधिकारियों एवं संरक्षण कर्ताओं के कारण शासन प्रदेश के सत्ता धीशो को बेरोजगारों के साथ धोखेबाजी करते हुए, करोड़ों एवं अर्बो का लाभ ले रहे हैं करोड़ो से अर्बो का लाभ ऐसे लिया जाता है। 

जब फर्जी नौकरी वाले की सेवा पुस्तिका बनती है। तब उत्तर प्रदेश कैसे लिखा जाए यह तो नियम के विपरीत है। इसलिए वन मंडल अधिकारी को तलब किया जाता है और अवैध नियुक्ति वाले की क्लास लगाई जाती है। 

इस प्रकार फर्जी नौकरी वाला अपने ही वन मंडल अधिकारी को फर्जी वाड़ा करते हुए करोड़ों करोड़ों रुपए की रेजंरो से फर्जी वाड़ा के तहत कमाई करते हुए वन मंडल अधिकारी को देता रहता है और अपने लिए भी करोड़ों रखता है। 


इस प्रकार भ्रष्टाचार का घिनौना खेल में शिकायत होने से, ऊपर के अधिकारी को भी बराबर कमीशन दिया जाने लगता है। कार्यवाही रोक कर ऐसे फर्जी नौकरी वाले प्रशासन के अंदर कमाऊ पूत बन जाते हैं। कृपया यह कमाऊपुत तांत्रिक कमाऊपुत नही है ।

इनके स्थानांतरण पर भी प्रशासन के आला अफसर के तहत कमाई वाली जगह पर होते हैं। वन मंत्री भी इन्हें इज्जत देते हैं। इस प्रकार से भ्रष्टाचार का अनोखा खेल चलते हुए मध्य प्रदेश में लगभग( 24 कमाऊपूत) सकरीय हैं। जिन्हें यदि शासन प्रशासन का संरक्षण नहीं है।

 तब बेरोजगारों का जीवन बर्बाद करते हुए मध्य प्रदेश में कमाऊ पूतों को आखिर क्यों पाला जा रहा है? 
यह खोजी पत्रकारिता की प्रमाण सहित 13वीं किस्त है। दिनांक 14 5.2025 में वन संरक्षक वन व्रत सीहोर जिला सीहोर मध्य प्रदेश ने भी भ्रष्टाचार के बहाव में अपने हाथ धोए हैं। 

अन्यथा उच्च अधिकारियों को शिकायत में कोई ना कोई सहयोग करने या शिकायतकर्ता को कोई ना कोई पत्र सूचनार्थ ही सही, दिया जाना चाहिए था। दिनांक 24/6/ 2025 में मध्य प्रदेश में सरकार तथा एमपी मंत्रालय को प्रमुख सचिव (वन विभाग) द्वारा भोपाल मध्य प्रदेश में शिकायत प्रेषित है। जिसमें 14 प्रकरण एक साथ प्रेषित किए गए हैं।

 इस प्रकार 14 कमाऊ पूतों पर आज तक कोई भी कार्यवाही तक नहीं हो रही है। 
बेरोजगारों के परिवार के सुख को छीनना कानून तोड़कर लाभ लेना फिर अपने आप को बचाने में भयंकर फर्जी वाड़ा करते हुए अवैध नौकरी करना वर्षों से मध्य प्रदेश शासन की नाक के नीचे से सफलतापूर्वक यह कार्य होते ही जा रहा है ।

 इसमें लगभग "26 कमाऊ पूत" रिटायर होकर सफलतापूर्वक पेंशन का लाभ ले रहे हैं। इस प्रकार सच्चाई जानने पर पाठकों को चाहे जैसा भी लग रहा लगा हो । यहां देश और जनता एवं बेरोजगारों के लिए ऊपर वालों से जनता की प्रार्थना जरूर जल्द से जल्द कोई स्थाई राहत दे सकती है, क्योंकि जब शासन प्रशासन भी लाचार सा है।

 तब हारे को हरी नाम ही का एकमात्र सहारा होता है। 
(अंधे पीसे कुत्ते खाएं देश- जनता चाहे भाड़ में जाए)। दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य को याद कहना चाहिए। चलो नहीं मालूम तो आज से इसे हमेशा हमेशा के लिए ज्ञात (मालूम) कर ले (सबसे बड़ा आश्चर्य )यही है, कि लोग औरों को मरते हुए देख कर अपनी मौत को भूल जाते हैं। जबकि मरने वाला शरीर सभी के पास है ।

इसलिए सियानो ने कहा है।..... काया तेरी है नहीं, माया कहां से होय। भक्ति (इबादत) करो ,इन दोनों को खोय। परिवर्तन चक्र ऐसा बहुत सा परिवर्तन करेगा। जिसमें जन कल्याण सहित देश कल्याण होगा और वासुदेव कुटुंबकम का वेद वाक्य शीघ्र सिद्ध होगा ही होगा "सत्यमेव जयते"।


(सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट)

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