मध्य प्रदेश में जिला सिवनी मध्य प्रदेश के बरघाट और सिवनी दोनों नगरी निकायों में स्टांप शुल्क के लगभग की राशि रिश्वत में ली जा रही है ।इसे सुनकर जनता अपने "मुंह में दांतो तले उंगलीयां डाल" रही है ।ऐसी जबरन वसूली पर क्रेता विवस होकर रिश्वत देता है, क्योंकि बरघाट एवं सिवनी शहरों में पटवारी सीट नदारत है। इससे बड़ी बात यह है। कि संशोधन पंजी दोनों नगरी निकाय के पटवारी के पास वर्षों से नहीं है।आर टी आईलगाकर बरघाट एवं सिवनी के तहसीलदारों से संशोधन पंजी के कुछ प्रश्नठ मांगे गए थे पर इन्होंने जानकारी नहीं दिए और जिला अध्यक्ष शिवानी को इसकी प्रथम अपील हुई है जिसमें किसी भी प्रकार का कोई भी जवाब नहीं दिया गया है इससे सिद्ध हो जाता है। दोनों जगह संशोधन पंजी गायब कर दी गई है। इतना ही नहीं तीसरी बड़ी गलती में दोनों निकायों का बंदोबस्त देश की आजादी से आज तक नहीं हुआ है।
महानुभावों जनता उल्लू नहीं है, लेकिन उल्लू बनाने वाले यह सारे पॉइंट उस समय क्रेता को बताए जाते हैं ।और कहा जाता है तेरे द्वारा खरीदी गई जमीन घास भूमि है, इसी प्रकार घास भूमि को भूमि स्वामी बना दिया गया है यहां सब ऐसा ही चल रहा है। इसमें जो खसरा नंबर है, वह फर्जी है, यहां पटवारी ने इसीलिए संशोधन पंजी को देश की आजादी के बाद सन (54/55 )के बाद छुपा दिए हैं। या नाश कर दिए हैं ,इससे बेचारे खरीददार स्टांप के मूल के लगभग की राशि जोड़कर देने विशस किया जाता हैं। और ऐसी परिस्थिति के कारण क्रेता बार-बार जमीन खरीदी एवं बिक्री करता है। सोचता है। शायद कोई भूमि स्वामी की जमीन मिल जाए लेकिन धंधा बना लिया है। लोगों ने पैसे ज्यादा लेकर लूटने का भूमि स्वामी की जमीन को घास भूमि की बताकर लूटने भिड़ जाते हैं। इसमें जनता का कहना है कि जितने भी रिटायर्ड रजिस्टार्ड है और दो-चार साल में रिटायर्ड होने वाले रजिस्टार वर्तमान में है इन सबकी आय से अधिक संपत्ति पर गंभीर जांच एवं करवाई से अरबो -खरबों रुपए की संपत्ति सरकार के खजाने में निश्चित रूप से आ सकती है जिससे अरबो खरबो रुपयों का खजाना शासन को प्राप्त हो सकता है ।
क्रेता घुटता पीटता पश्चाताप करता हुआ घर पहुंच कर सन्नाटे एवं गन्नाटे का शिकार होता रहता है।
इसे ऐसा उलझा दिया गया है जैसे" 9 मनसूत उलझिया , ऋषि रहे झक मार । सांचा सद्गुरु सुलझा दे , उलझेना दूजी बार" यहां पर राजस्व विभाग की जमीन भी इसी प्रकार से उलझ गई है। इसे कौन सुजाएगा जबकि शासन से सुलझ सकता है।इस प्रकार संशोधन पंजी नहीं होने और बंदोबस्त नहीं होने से राजस्व रिकॉर्ड को उलझा कर रख दिया गया है।
यदि किसी माई के लाल को भरोसा नहीं हो रहा है । तब वह बरघाट के खसरा नंबर 99 को आजादी के बाद से सर्च कर ले उसे बरघाट के "बयो वृद्ध" नागरिक का नाम मिलेगा। जिसे बरघाट के मंचों पर मंचासीन कर पूजवाते रहे हैं ।अब भूमाफिये अपनी इज्जत की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं इसी प्रकार सिवनी के राजेंद्र प्रसाद गुप्ता( वकील के बैंक वगैरा सब बड़े-बड़े प्लांट घासभूमि ही हैं।
इस प्रकार राजस्व विभाग और रजिस्टार विभाग के अधिकारी जनता की खटिया खड़ी कर- कर रिश्वत लेते जा रहे हैं। अब हम आजादी पा गए हैं। पर भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में आ गए हैं! हमारे प्रदेश एवं देश में सबसे बड़ा विभाग राजस्व विभाग और सबसे भ्रष्ट विभाग भी यही है। अंग्रेजों के शिकंजे से आजाद होकर भ्रष्टाचारियों के शिकंजे पर जनता दम तोड़ती -सी नजर आ रही है।बने रहे आगामी समाचार डीडी इंडियान्यूज़ के साथ।
$ब्यूरो चीफ सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट$
