प्रमाणित तथा खोजपूर्ण पत्रकारिता की 13वीं किस्त प्रस्तुत है इसमें श्रीमती नीलू कुमरे वरिष्ठ अध्यापक की पदस्थापना में संशोधन करते हुए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कातलबोडी विकासखंड सिवनी जिला सिवनी मध्य प्रदेश में पद स्थापना है। 15 शिक्षकों को ट्राइबल विभाग में 6 माह रखा गया है और असंवैधानिक ढंग से जिले के
ट्राईवल विभाग अधिकारी, जिले के शिक्षा अधिकारी ,और जिले के जिला पंचायत अधिकारी, (प्रियंका दास) गंभीर रूप से दोषी हैं ।इनने मनमानी राशि लेकर स्वयं "संवैधानिक त्रुटी" करते हुए देश की कानून की नाक काट लिए हैं ।जबकि यह तीन अधिकारी और 15 शिक्षकों को बर्खास्त या पेंशन बंद कर, न्यायालय के हवाले करना था, जो आज तक नहीं करने से विभागीय मंत्री या माननीय मुख्यमंत्री स्वयं दोषी हैं। ऐसे में जनता अपने माननीय मंत्री को दोषी मानने लगी है।
देश में ऐसे कानून तोड़ने वाले प्रशासनिकों पर कार्यवाही रोकने वालों पर आज भी कार्यवाही रोकने में मंत्री महोदयों को दोष युक्त माना जा रहा है। इसमें जनता स्वयं शिक्षा विभाग के शिक्षकों को विशेष रूप से शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। क्या कानून तोड़कर लाभ लेने के महा भारी भ्रष्टाचार पर जनता और शिक्षकों को झेलम सिंह बना रहना पड़ेगा !प्रशासन शासन जनहित आदिवासी समाज हित पर प्रदेश के कर्ण धारों की चुप्पी पर, अब जनता ऊपर वाले से कार्यवाही की मांग कर रही है और यदि ऊपर वाले में मांग मान ली। तब इस अराजक शासन को राष्ट्रपति शासन की आवश्यकता होने की प्रार्थना तक कर रही है ।जनता की हाय बद्दुआ भरी प्रार्थना पर आसमानी कारवाइयां होने से शासन पत्र पर राष्ट्रपति शासन की परिस्थिति बन सकती है, क्योंकि ईश्वर मरा नहीं है और भ्रष्टाचार पर इतराने वाले शासन प्रशासन के कर्णधारों को अपनी जनता की प्रार्थना पर इसी तरह से कोई कार्यवाही हो सकती है।
देश में कानून को धूल चटाने वालों पर गंभीर कार्यवाही होना ही चाहिए। जनता की प्रार्थना पर ऊपर वाला जब कार्यवाही करेगा तब जनता को राहत कैसे मिलेगी और आतताइयों को सजा कैसे मिलेगी? इसका जनता को इंतजार है। अति अर्थात दुर्गति अति की दुर्गति, आवश्यक होती है, यह "संस्कृत" भाषा की श्रेष्ठ कहावत है।
यहां पर शासन प्रशासन रिश्वत लेकर खुद गलती करें और मूर्ख की तरह जिस डाली में बैठे हैं उसे ही काटने लगे हैं क्या डाली के काटते ही डाली के साथ नीचे गिरने पर अर्थात पतित होने की स्थिति पर भविष्य की स्थिति क्या बनेगी? इसलिए तेरवी किस्त के सुझाव राष्ट्र एवं लोकहीत के माने जाने योग्य हैं। अन्यथा प्रकृति अपना संतुलन बनाने पर विवश होने लगी है देश को जगतगुरु बनने पर सुपर पावर बनने पर या राष्ट्रीय परिषद भारत आने पर उक्त संवैधानिक अपराधी भयंकर बाधक तत्व हैं, जो जनता एवं प्रशासन की नाक काटते हुए अन्याय को बनाए रख रहे हैं। राष्ट्र सर्वोपरि तब होगा! जब भ्रष्टाचार एवं अन्याय के शासन पर सटीक कार्यवाही होगी। बने रहें आगामी समाचार डीडी इंडिया न्यूज़ के साथ।
जिला ब्यूरो चीफ सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट
