विधायिका कानून बनाती है राज्य की और देश की, लेकिन बने हुए कानून को स्वयं विधायिका अर्थात प्रशासन को बचाने हेतु कानून तोड़े और कानून जैसा का वैसा ही लागू बना रहता है ।तब भारी भ्रष्टाचार को दबाने के लिए यह तरकीब या यह तरीका देश की जनता को हजम नहीं हो रहा है, क्योंकि "फिरंगी चाल" पर, गुलामी झेल कर भारत आगे आ गया है । जन सामान्य अपने शासको को पहचानता है और सब बापों के "बाप जी "से प्रार्थना करने लगा है ।
इसी तारतम्य में 15वीं किस्त में सुजीत कुमार सनोड़िया अध्यापक की पदोन्नति वरिष्ठ अध्यापक " रसायन" के पद पर शासकीय उत्तर माध्यमिक विद्यालय बादलपार विकासखंड कुरई की गई थी बीमारी के कारण पुनः आदेश अर्थात बीमारी का बहाना बनाकर ट्राइबल से शिक्षा विभाग में संशोधित करते हुए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कातलबोड़ी विकासखंड सिवनी शिक्षा विभाग में की गई है। इस प्रकार 15 शिक्षकों को ट्राइबल में 6 माह बाद शिक्षा विभाग में पुनः प्रमोशन सहित ले लिया गया है। इसमें कानून यह है, कि शिक्षा विभाग से ट्राईबल में शिक्षक जाकर 6 माह होने पर प्रमोशन का लाभ ले सकता है, परंतु वापस ट्राइबल से शिक्षा विभाग में नहीं आ सकता है, और उक्त 15 शिक्षकों को जिला सिवनी मध्य प्रदेश के तीन जिला अधिकारियों ने कानून तोड़कर देश प्रदेश की सरकारों को हल -हला दिये हैं उसमें कार्यवाही नहीं होने से सारे शिक्षा जगत एवं ट्राइबल विभाग पर सन्नाटा छाया हुआ है। और कानून बनाने वाले कानून तोड़ने वाले, एक ही हैं ।जबकि कानून तोड़ने वाले पर कार्यवाही नहीं हो रही है ,क्योंकि शासन विधायिका का पावर रखता है और यहां कानून तोड़ने वाला स्वयं शासन संरक्षक बना हुआ है । देखना यह है कि कानून तो कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई होती है अथवा विधाईका अर्थात शासन कार्यवाही करता है या नहीं करता है।
इस प्रकार कानून सबके लिए यही है ड्राईवल में शिक्षा विभाग से जाने पर 6 माह बाद प्रमोशन होगा परंतु कोई शिक्षा विभाग में नहीं जा सकता है और 15 शिक्षकों को शिक्षा विभाग कैसे दिए हैं ? 15 शिक्षकों के अलावा शेष सभी शिक्षकों को मूर्खानंद समझकर अथवा घूस देकर अर्थात घूसखोरी से 15 शिक्षकों को लाभ मृत्यु पर्यंत दिया गया है। यह मध्य प्रदेश शासन का (पोषित भ्रष्टाचार) सारे देश की नाक को डूबा डाला है और अब भी कार्यवाही नहीं होने से कुछ ही माहो में ईश्वर की कार्रवाई दिखाई देगी क्योंकि जनता प्रार्थना कर रही है । युग परिवर्तन चक्र भी चालू हो चुका है। जिसे ओखली में सर देना है। तब सर को ओखली में देकर देखो अर्थात जिसे विश्वास नहीं है उसका सर ओखली में समझो, क्योंकि भ्रष्टाचार का सत्ययानासी समय निकट आते जा रहा है। हमने आशा से आसमान थाम रखे हैं। देखना फिर कैसा मजा आएगा "भीड़ू"
उक्त घटना ने स्पष्ट कर दिया है ।कितने एससी एवं एसटी के संगठन बने हुए हैं और समाज वाले भी समझ गए हैं कितने संगठन नेताओं द्वारा पीछे से सपोर्ट देकर संगठन चला रहे हैं फर्जी जाति प्रमाण पत्र वालों के मामले ढूंढ कर लाभ लेने का धंधा देश मदें चालू आहे। भ्रष्ट आचरण शिष्टाचार जैसा चलाया जा रहा है। अति की दुर्गति शीघ्र ही निकट आने वाली है क्योंकि दुनिया की चिंता दुनिया वाले को ही होती है। जहां जनता के साथ अन्याय तथा लूट होती है ।तब जगत के मालिक को कठोर न्याय दंड की लीला करना पड़ता है ।यदि अभी नहीं समझोगे तब कुछ माहों में समझे तो, क्या समझे?
इस प्रकार जिला सिवनी मध्य प्रदेश के आदिवासी विकास के आयुक्त ने अपने ही नियमों का नाश कर दिया है ।दूसरा जिला शिक्षा अधिकारी ने भी अंधे की तरह 15 शिक्षकों को कानून की टांग तोड़ते हुए लाभ दिया है और तीसरी जिला पंचायत अधिकारी "प्रियंका दास" कलेक्टर पर प्रमोशन , किंतु 15 शिक्षकों द्वारा आदिवासी समाज को दगाबाजी का शिकार बनाने वालों पर जमीनी न्याय नहीं हुआ है तब आसमानी न्याय को दुनिया देखेगी।
हद तो बेहद पर, तब पहुंची, जब मंत्री कानून को तोड़कर लाभ देने की अनुशंसा कर 15 शिक्षकों को लाभ देने में अपना सिर ओखली में डाले हुए हैं। क्या माननीय मुख्यमंत्री लाभान्वित नहीं हुए हैं? आखिर आज तक कार्रवाई नहीं होने से आदिवासियों को धोखा देकर आदिवासी विकास पर घिनौना खेल क्यों नहीं रोक पाए "सत्य मेव जयते" जैसे सनातन शब्द की शक्ति चेतन हो रही है।
"सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट "
जब कानून बनाने वाले ही कानून तोड़े, तब प्रदेश, देश का क्या होगा?(कृपया यह अंतिम किस्त है जनाब)!!
byParmanand Nandhane
-
