गुरु पूर्णिमा में विशेष के तहत गुरुओं को लेकर अनेक बातें सामने आती रही हैं जिस पर जेल जाने को दोषी मान लिए जाने की गलती करने वालों की कमी नहीं है। जबकि जेल से रिहा होकर कई महापुरुष भी हुए हैं इसलिए "गुरु बनाना जानकर, और पानी पीना छान कर" यह कहावत पुरानी है। गुरु को समझे बिना, अपना नहीं बनना चाहिए गुरु की अनिवार्यता के लिए कहा जाता है। आगे गुरु, पीछे चेला बिना गुरु के, "जगत ने नहीं खेला" गुरु का महत्व इस प्रकार स्पष्ट है कि गुरु को तजे, भजे जो आना ता पशुआ का फोकट ग्याना
अक्सर गुरु के चक्कर में लोग, गुरु घंटालों को गुरु बनाकर अपने कई कई वर्ष बर्बाद कर बैठते हैं । इससे लाभ की जगह अनेको हानियां होने लगती है। और अपना सब कुछ नास के बाद शिष्य को गुरु में दोष दिखाई देता है इसलिए सर्वोत्तम गुरु बनाने हेतु गुरु घंटालों से बचने का सुझाव दिया जा रहा है। अच्छे गुरु को धारण करते ही कुछ माह में सही या गलत समझ में आ जाता है, किंतु कुछ लोग भीड़ देखकर, देखा देखी के चक्कर में गुरु बनाते हैं।
गुरु की पहचान और परख अनिवार्य है। अतः अमृत की जगह है जहर से बचना श्रेय यश कर ही है, विश्व में ज्ञान के लिए प्रसिद्ध पवित्र गीता जी के अध्याय 15 में 1 से 4 तक योग्य एवं सर्वोत्तम गुरु को खूब अच्छे ढंग से समझाकर बताया गया है। यहां तत्वदर्शी संत कहा गया है और इसी को पवित्र वेदों में धीरा णाम संत कहा है। पवित्र कुरान में बा खबर से पूछने का निर्देश दिया गया है। इसलिए "आगे गुरु पीछे चेला बिना गुरु के जगत ने नहीं खेला "अर्थात गुरु वाले ही महापुरुष एवं इतिहास पुरुष तथा माननीय हुए हैं। धर्म का आधार पवित्र किताबें हैं परंतु गुरु की योग्यता अनिवार्य है।
सांचे गुरु के न होने से सारा विश्व नशा और मांस के भक्षणं में आमादा होकर इसे अपने-अपने धर्म में जोड़कर सही कह- कहकर सबको गुनाह/पाप मे चला दिए हैं, क्योंकि किसी भी धर्म की पवित्र किताबों में मांस और नशा करने या ना करने का आदेश हरगिज़ नहीं है। जमीनी किताब में लिखा हुआ अमान्य है ऐसे गलतियों से मानव समुदाय को निकालने हेतु योग्य एवं श्रेष्ठ गुरु की शरणागति अनिवार्य होती है। मूलधन "चाहे करोड़ों अर्बो में हो"इसे पाने के लिए 100 के आंकड़े को मूलधन मानना पड़ता है इसी प्रकार मानव जीवन में गुरु को भी मनुष्य होते हुए भी ईश्वर के सदृस्य मानने से लाभ मिलेगा। अन्यथा 100 के आंकड़े के अलावा किसी भी आंकड़े से मूलधन नहीं पाया जा सकता है असली गुरु चाहिए तो सर्च करें! बिना असली गुरु के यह दुनिया नहीं चलती है। कृपया ढूडें जी।
(जिला ब्यूरो चीफ सुशील चौरसिया की रिपोर्ट)
