एस सी का लाभ राजपूतों को कैसे?

जिला उद्योग कार्यालय जिला सिवनी मध्य प्रदेश के लिपिक तीरत सिंह बघेल जी राजपूत होते हुए बघेल बागरी की नौटंकी खड़ी करके अपने आप को एस सी का लाभ लेने के लिए कूट रचित दस्तावेज से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर लाभ ले रहे थे जिनकी शिकायत किए जाने पर यह जिला पंचायत में चले गए ऑफिस में इन्हें किसी ने बताया नहीं कहां गए हैं ,फिर कुछ दिनों के बाद लौट के आ गए तब फिर इसकी शिकायत आगे बढ़ाई गई आज यह वहां ऑफिस में नहीं देखे जाते हैं ,हो सकता है रिटायर हो गए होंगे इस प्रकार से एस सी का नकली लाभ लेकर के बघेल बागरी लोग सिवनी जिले में स्पष्ट कर रहे हैं, कि वे शासन के लुटेरे हैं तो प्रशासन भी उसकी मदद करता है ,तो इस प्रकार लूट खसूट की दुनिया में कोई पीछे नहीं रहना चाहता है ।और बेरोजगारी तो "दुबले के लिए दो असाड़ "जैसी कहावत होती है अर्थात दोहरी वक्त की मार पर बेचारे बेरोजगारों ने कूट रचित कार्य से अपना भविष्य बना लिए हैं ।इस खेल में फर्जी जाति प्रमाण पत्र (अर्थात कूट रचित दस्तावेज) से शासन प्रशासन और जनता को उल्लू बनाने वालों का अंबार लगा हुआ है। शासन चाहे तो देश का और स्वयं का व्यापक भला कर ले ।इससे न्याय व्यवस्था में भी सुधार अपने आप होता रहेगा। देश में शासकीय सेवा से रिटायर पेंशनरों को एससी एसटी वालों से अपने कास्ट सर्टिफिकेट की जांच 6 माह में मांगे और जिनके जाति प्रमाण पत्र सही है ।वह ठीक है ।और जो अपनी जाति प्रमाण पत्र की कलेक्टर तथा एस पी से जांच कराकर अपने विभाग को नहीं देते हैं। ऐसी स्थिति में उनकी पेंशन शीघ्र प्रभाव से रोक दें ऐसा करने से सभी प्रदेश सहित देश को अर्बो- अर्बो- रूपयो का लाभ होना निश्चित है ।यदि ऐसा शासन नहीं करता है ।तब फर्जी जाति प्रमाण पत्र से जनता देश और न्याय की इस भब्बड़- शाही के लिए स्वयं शासन जिम्मेदार माना जाएगा ।इसमें जनता को हर्षित एवं प्रफुल्लित होने का अवसर के तथा साथ न्याय के नाम पर शुरुआत से जनता शासन पर आशा तथा विश्वास करेगी और देश के बेरोजगारों का टूटा हुआ धैर्य को ढढास बंधाई जा सकती है। देश के कर्ण धारों को बुरा वक्त से पहले देश में यह अच्छा कार्य अविलंब कर लेना चाहिए। कृपया माननीय उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश जबलपुर का आदेश और दिनांक 22 /01/ 2025 में प्रेषित शिकायत पत्र से स्पष्ट है ।देश अराजकता की ओर भ्रष्टाचार की चाल पर निकला है। माननीय प्रधानमंत्री जी के मुख्य कमल से निकले यह शब्द जनता को अक्सर ऐसी स्थिति में याद आते हैं भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को चट कर रही है। जैसे हाथी की खोपड़ी को अंकुश से संभाला जाता है। ठीक ऐसे ही उपायो पर इस तुक्ष् दास के सुझाव पर ध्यान देना राष्ट्रीय हित की ओर पहला कदम माना जा सकता है यह पत्रकारिता, राष्ट्रहित ,न्यायहित ,तथा जनहित की मोहताज है ।अब गोदी की मीडिया और फेक न्यूज़ का वक्त समाप्त हो रहा है। जनता को सत्य पसंद है। जैसे "सांचे सांप लगे, ना साचें काल खाए ।सांचे में सांचा मिले सांचे माही समाय" हमारे देश का सनातन शब्द है "सत्य मेव जयते" (जिला ब्यूरो चीफ सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट)

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