शासन की लाचारी, जनता बनी बेचारी !

उक्त शीर्षक से स्पष्ट हो चुकी है पूरी तरह प्रमाणित एवं खोजी पत्रकारिता की यह पांचवी किस्त है दिनांक 17/ 5 /2025 में मुख्य वन संरक्षक वन व्रत भोपाल जिला भोपाल मध्य प्रदेश को शिकायत प्रेषित है ।इसमें अनावेदक उमाकांत पांडे भोपाल जिला भोपाल मध्य प्रदेश ने मध्य प्रदेश राज वंन सेवा आयोग को धोखा देकर या बड़ी रिश्वत देकर असंवैधानिक नौकरी प्राप्त किए हैं क्योंकि, यह अनावेदक गृह जिला फैजाबाद उत्तर प्रदेश के हैं और उत्तर प्रदेश राज्य वन सेवा आयोग से चयन होना चाहिए था। इस प्रकार फर्जी नौकरी लेकर वर्षों से शासन को करोड़ों -अर्बो रूपयों की लूट करते आ रहे हैं ।और शासन की इस लूट पर प्रशासन के उच्च अधिकारी भी सहयोगी हैं क्योंकि ,इन्होंने नौकरी प्रदेश के बाहर की है ।जिसे छुपा कर अवैध नौकरी को कराते आ रहे हैं। इस प्रकार फर्जी नौकरी वाले फर्जी काम करने में माहिर होते हैं ।इसलिए करोड़ों -करोड़ों रुपए के फर्जी वाड़ा करने एवं कराने का रैकेट वन विभाग में फल फूल रहा है। और इसमें शासन प्रशासन माया के मोह में देश को एवं जनता को भूला बैठे हैं। उक्त डाक एक बार सीसीएफ के कार्यालय से लौटाई जा चुकी है। अर्थात सीसीएफ अधिकारी भी वन विभाग को लूट कर अपना और शासन का उल्लू सीधा कर रहे हैं, क्योंकि उल्लू के साथ लक्ष्मी होती है और लक्ष्मी को माया भी कहते हैं धन देख अच्छे-अच्छो की नियत डोलती है शायद इसीलिए पूरे वन विभाग में माया की लूट हो रही है। वन विभाग के अधिकारियों की रिटायर होने के 6 महापुरुष से अधिक संपत्ति की अचानक जांच कराई जाए इससे करोड़ों करोड़ों या अरबो रुपए का लाभ शासन को मिल सकता है। जनता आजकल सीधा बोलती है। "वन माफिया वन अधिकारियों में मर्च "किये जा चुके हैं इसलिए वन विभाग की चोरी पकड़ी जाती है। और जांच को गोल-गोल घूमाकर छोटे कर्मचारी को सेवा मुक्त कर देते हैं। जबकि सागौन के कई लट्ठे की चोरी में उपवन मंडल अधिकारी या रेंजर को बर्खास्त करने का नियम बताए जाते हैं, लेकिन चोर पकड़ कर कानूनी तौर से पुलिस की एफ आई आर और अदालती प्रकरण नहीं बनाया जाता है ।भ्रष्टाचारी और मर्ज वन विभागी माफियों की मौज हो रही है। तथा शासन और जनता तमाश बिन बनकर ठगी सी रह गई है ।जनता चुप्पी साधे हुए हैं और अंदर ही अंदर भ्रष्टाचारियों को घूर-घूर कर देखने लगी है। ऐसे जनता ने जिला सिवनी मध्य प्रदेश में वन विभाग की जिप्सी में शागौन के आठ लट्ठे पड़कर दक्षिण सामान वन चेक पोस्ट में सामने से केस दर्ज करवाये (यह जनता के आक्रोश का कमाल है)थे जो बाद आज तक जांच का विषय बना हुआ है। इसमें आठ लट्ठे जहां डिपो में भेजे गए थे सुरक्षित रखने के लिए वहां पहुंचकर 8 से 7 हो गए यह वन विभाग का वनमाफियों का जोड़-तोड़ का सिस्टम है।और जो एक लट्ठा गायब हुआ है उसे जमीन ने खाई या आसमान ने निकाला इसका कोई भी विवरण सामने नहीं लाया गया है। पेचं टाइगर रिजर्व का अर्थ होता है कि जंगल में कुल्हाड़ी नहीं चलना चाहिए कोई वृक्ष काटे नहीं जाना चाहिए और फिर वहां पर जिप्सी उन्ही विभाग वालों की और वही लोग मिलकर के सामने से कटवा करके जंगल को नास कर रहे हैं।और आज तक वन विभाग तो वन विभाग की ही खटिया खड़ी कर रहा है और यहां पर कई वर्षों से जमे हुए वन कर्मचारी जो नौकरी कर रहे हैं यह विशेष रूप से इसमें दोषी हैं ।लेकिन यह बैकग्राउंड है। आने वाले दिनों में जनता के हवाले भ्रष्टाचारी सर झुकाते अथवा मुंह छुपाते हुए नजर आ सकते हैं प्रमुख सचिव वन विभाग वल्लभ भवन भोपाल को दिनांक 4 /6/ 2025 में प्रेषित प्रकरण की छाया प्रति प्रमुख साक्ष्य प्रस्तुत है क्या दुनिया जाएगी भाड़ में ?भ्रष्टाचार की आड़ में ! (जिला ब्यूरो चीफ सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट)

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