*आदरणीय सर्वप्रथम तो जिस तरह नगर परिषद नये बसस्टैंड के संपूर्ण प्रांगण को व्यवसायिक प्रयोजन हेतू अनुमति दे रही है वह निश्चित ही गलत है क्योंकि नये बस स्टैंड मे जो दुकानें हैं नगर परिषद उन दुकानदारों से किराया वसूल कर रही है और उन्हीं दुकानदारों के सामने के संपूर्ण प्रांगण को व्यवसायिक गतिविधियों के लिए आवंटित भी कर रही है जो कि सरासर गलत है और कहीं से भी न्याय संगत नहीं है..क्योंकि जिन दुकानदार भाइयों ने वहाँ पर दुकानें लीच पे ली है वो उन दुकानों का किराया भी दे रहे हैं और वहाँ व्यापार करके अपनी जीविका चला रहे और अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे..अगर ऐसे मे नगर परिषद अपने तुगलकी फ़रमान के चलते उन दुकानदार भाइयों की दुकान के सामने चंद पैसों की ख़ातिर हर बार किसी ना किसी व्यवसायिक गतिविधियों के लिए वो प्रांगण आवंटित करते रहेगा तो उन दुकानदारों का क्या होगा..जिनका जीविकोपार्जन ही उन दुकानों की वजह से होता है..मानवीय पहलुओ को देखते हुए यह कदम नगरपरिषद का निश्चित ही निंदनीय है..जो कि नये बसस्टैड के दुकानदार भाइयों के हित मे नहीं है..मै नगरपरिषद के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से पूछता हूं की क्या इसी तरह का कृत्य वह पुराने बस स्टैंड प्रांगण मे कर सकते हैं..? नहीं..क्योंकि नगर की कठपुतली सरकार की इतनी हिम्मत नहीं की बड़े धन्नासेठों की मर्जी के खिलाफ कुछ कर सके..मैने हमेशा ही जनहित के उन मुद्दों पे ध्यानाकर्षित कराने की कोशिश की है और आगे भी जनहित के लिए लिखता और लड़ता रहूंगा..🙏🏻🖋️"विपिनजैन"
