सूत्रों से मिली जानकारी >(सोशल मीडिया पर भी खूब हो रहा है वायरल) छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों का सामूहिक आत्मसमर्पण - एक ऐतिहासिक मोड़
भय का अंधकार मिटाकर मुख्यधारा में शामिल हो रहे नक्सली, बस्तर में शांति की नई सुबह।
जगदलपुर/रायपुर:
छत्तीसगढ़ में, विशेषकर बस्तर संभाग में, राज्य सरकार की प्रभावी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति और सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के कारण नक्सलवाद विरोधी अभियान को हाल के दिनों में एक ऐतिहासिक सफलता मिली है। अक्टूबर 2025 में हुए बड़े आत्मसमर्पण ने इस क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया है।
मुख्य घटनाक्रम (अक्टूबर 2025)
* सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण:
* 17 अक्टूबर 2025 को दंडकारण्य क्षेत्र के 210 से अधिक माओवादियों ने मुख्यमंत्री के समक्ष औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण किया। यह छत्तीसगढ़ के इतिहास में नक्सलवादियों का सबसे बड़ा सामूहिक आत्मसमर्पण बताया गया।
* आत्मसमर्पण करने वालों में प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के सेंट्रल कमेटी सदस्य रूपेश उर्फ सतीश सहित चार डीकेएसजेडसी (दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी) सदस्य और विभिन्न रैंकों के वरिष्ठ कैडर शामिल थे, जिन पर भारी इनाम घोषित थे।
* इन नक्सलियों ने 153 घातक हथियार (जिनमें एके-47, एसएलआर, इंसास राइफल और बीजीएल लॉन्चर शामिल थे) सौंप दिए और हिंसा का रास्ता छोड़कर भारतीय संविधान और लोकतंत्र में आस्था व्यक्त की।
* लगातार आत्मसमर्पण की घटनाएँ:
* इसके अतिरिक्त, 29 अक्टूबर को बीजापुर जिले में 51 माओवादियों (जिनमें 9 महिला माओवादी शामिल थीं और जिन पर कुल ₹66 लाख का इनाम था) ने आत्मसमर्पण किया।
* उसी दिन कांकेर जिले में भी 21 नक्सलियों ने हथियार डाले, जो सरकार की "नियद नेल्ला नार" (आपका अच्छा गाँव) जैसी योजनाओं से प्रभावित हुए।
* इन आत्मसमर्पणों ने उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ जैसे कभी नक्सल प्रभावित रहे क्षेत्रों को नक्सल मुक्त घोषित करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
आत्मसमर्पण के कारण
* सरकारी नीतियाँ: छत्तीसगढ़ सरकार की 'नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025' के तहत वित्तीय सहायता, पुनर्वास और आजीविका के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
* सुरक्षा बलों का दबाव: सुरक्षा बलों के लगातार और सफल अभियानों ने नक्सली संगठनों की कमर तोड़ दी है, जिससे वे आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो रहे हैं।
* विचारधारा से मोहभंग: कई आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने माओवादी विचारधारा की खोखली और अमानवीय प्रकृति, साथ ही निर्दोष आदिवासियों पर अत्याचारों के कारण संगठन छोड़ने की बात कही है।
आगे की राह
मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री ने इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की है। सरकार का लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त बनाना है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में फिर से शामिल करने के लिए पुनर्वास प्रक्रिया जारी है।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों का सामूहिक आत्मसमर्पण यह दर्शाता है कि हिंसा पर शांति और विकास की जीत हो रही है। यह राज्य को नक्सल-मुक्त बनाने के प्रयासों में एक सकारात्मक और निर्णायक कदम है। बने रहे आगामी समाचार डी डी इंडिया न्यूज़ के साथ
