🚨 *जनपद सीईओ और सचिव की मिलीभगत से ग्राम पंचायत गनेरी में लाखों का भ्रष्टाचार! अधिकारी कार्रवाई से कर रहे परहेज़* 🚨
सिवनी। जिला पंचायत सिवनी के अंतर्गत आने वाली जनपद पंचायत धनोरा की ग्राम पंचायत गनेरी में लाखों रुपए के महाभ्रष्टाचार का सनसनीखेज मामला सामने आया है। आरोप है कि यह बड़ा घोटाला ग्राम पंचायत सचिव सलीम खान और जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) ओंकार सिंह ठाकुर के कथित संरक्षण में किया गया है।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगने के बावजूद, न सिर्फ जनपद के अधिकारी बल्कि जिले के आला अधिकारी भी ग्राम पंचायत गनेरी का खुलेआम संरक्षण कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई से परहेज़ कर रहे हैं, जो उनकी मिलीभगत की आशंका को और मजबूत करता है।
💰 *निर्माण कार्यों की राशि सचिव के खाते में ट्रांसफर: पंचायत नियमावली का उल्लंघन*
भ्रष्टाचार के इस मामले की गंभीरता तब और बढ़ जाती है जब यह तथ्य सामने आता है कि ग्राम पंचायत सचिव सलीम खान ने निर्माण कार्यों की लाखों रुपए की राशि सीधे अपने निजी खाते में ट्रांसफर कर ली। पंचायत नियमावली के अनुसार, सरकारी निर्माण कार्यों की राशि को व्यक्तिगत खाते में डालना स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है और यह सीधा गबन का मामला है।
* मुख्य आरोप: निर्माण कार्य की लाखों की राशि सचिव सलीम खान ने अपने खाते में ट्रांसफर की।
* नियमों का उल्लंघन: पंचायत नियमावली के विरुद्ध जाकर सरकारी राशि का दुरुपयोग।
*कार्रवाई शून्य: सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर पर मिलीभगत की आशंका*
भ्रष्टाचार का यह मामला उजागर होने के बावजूद, आज दिनांक तक न तो सचिव सलीम खान से कोई रिकवरी की गई है और न ही उन पर कोई दंडात्मक कार्रवाई की गई है। इस पर अधिकारियों की चुप्पी और निष्क्रियता सीधे तौर पर जनपद सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
* कार्रवाई से परहेज: सचिव पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं हुई।
* रिकवरी नहीं: गबन की गई लाखों की राशि की कोई वसूली (रिकवरी) नहीं की गई।
* सीईओ की भूमिका: इस निष्क्रियता से यह सिद्ध होता है कि सचिव को सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर का संरक्षण प्राप्त है, जिससे उनकी मिलीभगत की आशंका गहराती जा रही है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पूरा कृत्य सीधे तौर पर शासन को चूना लगाने और सरकारी फंड का दुरुपयोग करने का मामला है। अधिकारियों का यह रवैया दर्शाता है कि वे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बजाय उसे बढ़ावा दे रहे हैं।
क्या जिले के अधिकारी भी हैं इस संरक्षण में शामिल*?
जब जनपद स्तर पर सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर कार्रवाई करने से बच रहे हैं, तो बड़ा सवाल यह है कि जिले के उच्च अधिकारी भी इस मामले में कार्रवाई करने से परहेज क्यों कर रहे हैं? उनकी चुप्पी और निष्क्रियता यह संकेत देती है कि भ्रष्टाचार के इस रैकेट की जड़ें जनपद से ऊपर जिले तक फैली हो सकती हैं।
* मांग: आम जनता और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच (जांच) की मांग की है।
जब तक सचिव और कथित रूप से लिप्त सीईओ पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होती, तब तक शासन के पैसे की लूट इसी तरह जारी रहेगी।
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(देवानंद नांदने की रिपोर्ट)