शासन प्रशासन किंग कर्तव्य विमूढ़ रहेगा। तब ऐसा होता ही रहेगा ।अनिल कुमार श्रीवास्तव उपवन मंडल अधिकारी दिनांक 1 अप्रैल सन 2021 की वरिष्ठा सूची क्रमांक 164 एवं गृह जिला कानपुर उत्तर प्रदेश के हैं
और उत्तर प्रदेश राज्य वन सेवा आयोग से एसडीओ वन विभाग की नौकरी नहीं लिए हैं, क्योंकि प्रत्येक प्रदेश में अलग-अलग राज्य वन सेवा आयोग होता है। फिर मध्यप्रदेश राज्य वन सेवा आयोग को भारी भरकम रिश्वत देकर एवं धोखा देकर आज असंवैधानिक नौकरी लिए हैं।
इस प्रकार मध्य प्रदेश सरकार यहां ध्यान नहीं दे रही है और शासन अपना कौन सा हित साध रहा है। यह भी नहीं बताया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में पढ़े लिखे बेरोजगारों को इसमें आक्रोश आ रहा है। दूसरे प्रदेश वालों से मनमानी घुस मिल जाती है और मध्य प्रदेश के बेरोजगार, रिस्वत ठीक से नहीं दे रहे हैं। यदि ऐसा नहीं हो रहा है। तब करोड़ो अर्बो रूपयों की मध्य प्रदेश शासन की हानी होते ही जा रही है। इसमें कौन-कौन दोषी है?
यहां तो बेरोजगार आत्महत्या तक करते हुए शासन प्रशासन को चिट्ठी लेख कर बचा रहे हैं। की कोई जिम्मेदार नहीं है मेरी आत्महत्या पर पैसों की फरियाद अब आसमान से आग बरसाने की स्थिति में बनी हुई है।
पदों पर बैठकर अपनी पूजा कराने वालों की यह दुनिया नास्तिकता के तहत दुनिया की सर्वोच्च सत्ता पर कम और शैतानी सत्ता पर ज्यादा विश्वास करने वाली हो गई है।
इससे कोई गंभीर उलट फेर के तहत आक्रोश पर सबको टेंशन होने जैसी स्थिति को न्याय को रोक कर फर्जी वाड़े वालों पर सत्ता विश्वास करें और ईमानदारी की नौकरी वालों को बेइज्जत करें। ऐसा - ऐसा जन चर्चा पर जनता को बिना कारण सताया जा रहा है और भ्रष्टाचार कर्ताओं को नवासा जा रहा है।
यही कारण है इसके चलते मध्यप्रदेश शासन वन विभाग को लूटकर अनेको लोगों को आज भी पेंशन दे रहे हैं ।इसे कहते हैं ईमानदार मरे और बेईमान का पेट भरे! ऐसा अन्याय जनता कब तक सहेगी ?और जनता का मालिक भी इसलिए अपना आक्रोश दिखा दिखाकर आगाह करने वाला संदेश दे रहा है।
मात्र वन विभाग का फर्जीवाड़ा, फर्जी जाति प्रमाण पत्रों से फर्जी नौकरी से फल फूल रहा है। हद तो यहां तक हो गई है! एसडीओ बनने हेतु फर्जी परीक्षा से फर्जी अंकसूची लेकर, फर्जी नौकरी तक होने लगी है।
यह अंधेर गर्दी का बाप वाला भ्रष्टाचारी खेल है। देश क्या प्रदेश सभी को लूटा जा रहा है ।इस प्रकार ये फर्जी नौकरी वाले ईस्ट इंडिया कंपनी को भी शर्मिंदा कर रहे हैं।
जब शासन प्रशासन अर्थात सत्ताधीश जनता के दुखों पर ध्यान नहीं देते हैं ।तब सर्वोच्च सत्ता अर्थात सबके" बाप जी" अपना न्याय सिस्टम चालू करने लगते हैं
और अभी हाल में आसमानी आफत सारे विश्व में तहलका सा मचा रही है। ऐसा लगता है। हम सभी किसी बहुत बड़े संकट को न्योता दे चुके हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है ।जैसे अच्छा और बुरा (करने वालों पर )अच्छी और बुरी कार्यवाही होते-होते कुछ बहुत बड़ा करने लगेगी इसलिए दुनिया बनाने वाले पर तरस खाओ क्योंकि अभी भी बचने वालों का समय शेष है।
विजई एक सनातन एवं पुरातन के तहत सच्चाई पर चलने के अलावा सभी चालें, कुचाल ही हैं। ऐसा लगता है। जैसे बिना लाठी की मार का खेल होकर ही रहेगा **सत्य मेव जयते **
(सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट)