बरघाट नगरी को, आजादी के बाद भी "गुलामी की सजा"सत्ता धीशों द्वारा क्यों दी जा रही है........?


 बिना संशोधन पंजी के जनता बनी कमाल/भू माफिया एवं राजस्व विभाग हो रहे मालामाल । यह बात जनता सब जानती है और अंदर ही अंदर प्रशासन तथा शासन से कुडकुडाई हुई जीवन की रही है। 

एक ओर यह स्थिति जनता को विचलित कर रही है , तो दूसरी ओर समाज के आल्टर होने का परिवर्तन चक्र पर मुग्द भी हो रही है। अर्थात बुरा समय अपने जाने की तैयारी कर चुका है और अच्छा समय सैन: सैन: आते ही जा रहा है।


आज यहां जिला सिवनी मध्य प्रदेश की पोल खोलकर दिखाई जा रही है, क्योंकि बरघाट शहर जिला सिवनी मध्य प्रदेश में एक सफल आरटीआई लगाई गई है। जिसमें तहसील कार्यालय द्वारा राष्ट्रीय अधिनियम की मनमाने ढंग से, मानहानि कर दिए हैं और इसी परंपरा को स्वयं जिला कलेक्टर संस्कृति जैन ने पुनरावृत्ति के तहत राष्ट्रीय अधिनियम सूचना के अधिकार की मानहानि कर दिए हैं।

 इस प्रकार तहसीलदार एवं जिला कलेक्टर जिला सिवनी मध्य प्रदेश ने स्पष्ट कर दिया है, कि बरघाट में संशोधन पंजी वर्षों से नदारत हो गई है और हमें इसलिए जानकारी नहीं देते हुए राष्ट्रीय अधिनियम की खटिया खड़ी करी जा रही है। 


जनता तो सब जानती है। फिर भी यह बताया जाना या जानना भी जरूरी है, इसमें आजादी के बाद बंदोबस्त सभी जगह अनिवार्य नियम के तहत हुए हैं और बरघाट नगरी में आज भी अंग्रेजी नियम से गुलामी का नियम लागू कर चलाया जा रहा है। 

इससे बरघाट में जनता को रजिस्ट्री शुल्क अनुसूचित राशि से अनुमानित राशि से मनमानी राशि ली तथा दी जा रही है। है ना पराधीनता की नौटंकी। क्या बरघाट नगर आज भी पराधीनता एवं गुलामी में दिए जा रहा है....?

 जनता का साफ कहना है। धिक्कार है। उन हुक्मरानो को, जो जनता भू माफियो के हाथों गुलामी की सजा दिए जा रहे हैं। इस प्रकार भ्रष्टाचार को दीमक जैसा देश को चट करने वाला कहा जाने लगा है, लेकिन जनता को लूटने वाले सत्ता धीशों के आश्रय पर जनता को लूटा जा रहा है आरटीआई दिनांक 17 4.2025 में ,प्रथम अपील दिनांक 28/ 6 /2025 में एवं द्वितीय अपील दिनांक 21/7./2025 में हुई है।

 यहां भी न्याय नहीं मिलेगा, क्योंकि यह जिला प्रशासन को न्याय कर्ताओं का गुप्त आदेश है इसलिए आरटीआई प्रशासन और भ्रष्टाचारों की सर परस्ती कर रही है। लगभग सभी आदेश जनता को गुमराह करने वाले आ रहे हैं। इस पर कुछ एक आर टी आई कर्ता ने देश की शीर्श जांच एजेंसी को कई शिकायत दे चुके है।

 किंतु यहां पर स्टाफ की कमी और बेरोजगारों की संख्या के कारण न्यूनतम 7 वर्ष और अधिकतम 8 वर्ष का समय लग रहा है । जबकि आवेदक की नहीं वरन् शासन की लाखों- करोड़ों या अरबो रुपए की हानि हो रही है। भ्रष्टाचार सिर चढ़ा हुआ है। क्योंकि विलंब ही देश का सबसे बड़ा अन्य कार्य पालिका और न्यायपालिका की मजबूरी बनकर रह गया है। 


बिगाड़ की बात करें तो बिगाड़ ही बिगाड़ होते जा रहा है ,लेकिन जन जागृति बिना किसी उपग्रह के शासन तथा प्रशासन को सुधार कर दबाव बनाने के मूड में है, और जनता के साथ स्वयं सबके बाप जी का सहयोग ऐसा होगा। जैसे -"सब खेल हमने किया" जो "हमसे मिले तो निश्चाइए जिये "।


धीरे-धीरे ही सही लेकिन अब विश्व स्तर पर पाप के घड़े का फूटना जारी हो चुका है और जनता भी जबरदस्त प्रार्थना करने लगी है (सत्यमेव जयते) समझो सो जानो बने रहे आगामी समाचार डी डी इंडिया न्यूज़ के साथ।


{सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट}

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