आखिर पंचायत विभाग, प्रमाणित भ्रष्टाचारियों, को क्यों बचा रहा है?

ग्राम से ब्लॉक ब्लॉक से जिला और जिले से भोपाल तक सभी को अपने-अपने उल्लू सीधे करते हुए लाभान्वित होने की पड़ी है, क्योंकि ग्राम पंचायत नदौंरा ,जनपद पंचायत बरघाट जिला सिवनी मध्य प्रदेश की शिकायत जिला कलेक्टर सिवनी मध्य प्रदेश को दिनांक 13 /8/.2024 में प्रस्तुत है, 

और कार्यवाही नहीं होने पर दिनांक 15 /10 /2024 में उक्त शिकायत का हवाला सहित प्रमुख सचिव मध्य प्रदेश सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को भोपाल मध्य प्रदेश में प्रेषित है, किंतु आज तक ग्राम से भोपाल तक में किसी ने कोई कार्यवाही नहीं किए हैं। 

ग्रामीण जनता भोली भाली है और उसे लूटना नहीं वरन लुटना आता है। इसमें जनता यहां तक कह देती है, कि करेगा तो भरेगा! ग्राम पंचायतों में कार्यालय कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी विभाग अपने अधीनस्थों से स्वयं लाभान्वित होते रहते हैं। 

इसके कथित ठेकेदार एवं फर्म भी दोषी होती है। शिकायत के आधार से संक्षिप्त समाचार जनता को ज्ञात करने हेतु लेख है। यदि इसी रफ्तार से भ्रष्टाचार आचरण एवं फर्जी वाड़ा होता रहा और कार्रवाईयां नहीं हुई तब अराजकता जैसा शब्द भी शर्माने लगेगा। फिर भ्रष्ट सिस्टम ही शेष होगा और जनता की टैक्स राशि । 

इसी तरह जनहित के नाम पर फर्जीवाड़े एवं भ्रष्ट आचरणों में हड़पी जा रही है ।क्या फर्जी वाड़े में हड़पी गई लाखों करोड़ों और अरबो रुपयों की राशि प्रशासनिकों या निर्माण कार्यकर्ताओं से वसूली जा सकेगी ? अन्यथा हम अराजकता को स्वीकार करते हुए आपस में खींचातानी से तमाशा बनते जाएंगे। सारा का सारा प्रशासन तंत्र अपनी मनमानी से माया को संचित करके विधायक या सांसद बनना चाह रहा है ।

 शायद सबसे ज्यादा माया इसी क्षेत्र से कमाई जाती है। देखो सचिवालय से आकर सीधे विधायक बनने की कोशिश हुई तो है ,परंतु अनुभवहीनता से टिकट नहीं मिली है ।फिर भी माया के दौड़ वाले राजनीति में विधायक या सांसद बनना चाहते हैं।

 जिला सिवनी मध्य प्रदेश के हरवंश मंत्री जी मुख्यमंत्री की दौड़ में रहते हुए असफल रहे हैं । जिला बालाघाट मध्य प्रदेश में लिखी रामकावरे भी इसी दौड़ में ऐसी घटना घटी जैसे घटी है या घटाई गई है। 

जाने ईश्वर !राजनीतिक क्षेत्र में उक्त दोनों दिग्गज मुख्यमंत्री पद के लिए योग्यता वाले थे और दोनों के जीवन रहस्य बनकर समाप्त हुए हैं। भाग्यशाली ढालसिंह जी को माना जा रहा है। 

जनता हमेशा धन वैभव की पुजारी होती है और माम् भाई फूफ भाई कह-कह कर जनता में बताई जताई रहती है। जनता ईमानदारी और भ्रष्टाचारी में फर्क नहीं समझती है।

 बस माया याने धन चाहिए चाहे जनता लूटो या प्रशासन लूटो अथवा सबसे बड़ा शासन लूटो। यहां "मर्द गर्द में मिली गए रावण से रण धीरम्"! फिर भी पाप कमाई पर दृष्टि गढ़ाने वालों की कमी नहीं है।

 देश भक्ति और ईश्वर से डरना जिसने नहीं सीखा है, वह बदलते वक्त में क्या करेगा? " सत्यमेव जयते" सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट

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