यह प्रमाणित एवं खोजी पत्रकारिता की 14वीं किस्त है। इसमें वीर नारायण तेकाम वरिष्ठ अध्यापक की पद स्थापना में फर्जी तरिकों से नियम विरूद्ध संशोधन करते हुए शासन शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पीपरवानी विकासखंड कुरई जिला सिवनी मध्य प्रदेश में आज असंवैधानिक पद स्थापना की गई है। इस प्रकार आज 15 शिक्षकों में यह 14वां शिक्षक है। इन्हें ट्राइबल विभाग में 6 माह रखकर प्रमोशन देकर षड्यंत्र के तहत कानून का जनाजा निकालने वाली हरकत से प्रशासन के उच्च अधिकारी एवं शिक्षकों ने कानून को खरीद रखा है। फिर शासन सन 2014 से प्रति माह लुटते जा रहा है। इससे प्रति माह एक इंक्रीमेंट की राशि एवं झूठी प्रतिष्ठा पर अहंकार दिखाने वाले 15 शिक्षकों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं करते हुए भ्रष्टाचार की लाश को शासन कैसे झेल रहा?
उक्त में जिला सिवनी मध्य प्रदेश के तीन अधिकारी के भ्रष्टाचारी खोपड़ी का नार्को टेस्ट किया या कराया जाना चाहिए। अन्यथा देश के प्रशासन तथा शासन का क्या होगा? कहा नहीं जा सकता है। ट्राइबल के अधिकारी रिश्वत के महल पर रह रहे हैं । इसी तरह शिक्षा विभाग के अधिकारी नोटों के ऊपर बिस्तर में सो रहे हैं और इसको पता भी नहीं हुआ है कि सर्व सोने की लंका थी, रावण से रण धीरम। एक पलक पर राज बिराजा, बंधे काल जंजीरम ।। यह सुक्ष्म स्वासम वेद की आंख है, जो पतन से बचाती है। हमारे देश में आध्यात्मिक शिक्षा की पढ़ाई एक महापुरुष द्वारा कराई जा रही है । यदि यह सत्य है। तब बहुत ही जल्दी भारत दुनिया का सरदार बनेगा। हम चाहे कितनी ही चीखें या चिल्लाये कोई भी व्यक्ति मात्र व्यक्ति के स्तर का काम करता है। इसीलिए कहा जाता है कि उस मालिक की मर्जी के बिना पत्तातक नहीं हिलता है।
जन चर्चा में लोग (प्रियंका दास) तत्कालीन जिला पंचायत अधिकारी जिला सिवनी मध्य प्रदेश में थी और उक्त प्रकरण में रिश्वत लेने वाले ट्राइबल विभाग एवं जिला शिक्षा विभाग से भी ज्यादा पावर वाली महिला अधिकारी होते हुए अपने आप को महा भ्रष्टाचार की लालच में भोपाल मध्य प्रदेश से कलेक्टर का प्रमोशन लेकर मध्य प्रदेश में कहीं जिला कलेक्टर बनी है।
हैरानी होती है। समाज सेवा की बात करना और इतने सिद्ध भ्रष्टाचार पर 14 किस्त भी कम पड़ रही है या भ्रष्टाचार पर कोई समाज से भी या कोई न्याय दिलाने वाले नहीं बचे हैं। हो सकता है सभी कोतल- कोतल होकर उल्टी खोपड़ी कर आसमान को देख रहे हैं। जनता के जज्बे को सलाम है। क्योंकि जनता की चर्चा में यही तथ्य निकला है कि जनता अब भ्रष्टाचार की गहरी से गहरी जड़ों को उखाड़ फेंकने के मूड में आसानवित होकर उसे याद कर रही है। जिसकी मर्जी के बिना पत्ता तक नहीं हिलता है।
जनता जब ज्यादा दुखों से होकर परास्त होती है। तब ना चाहते हुए भी राष्ट्रपति शासन का सहारा अंत तो गत्वा लेना ही पड़ जाता है । इससे ही भ्रष्टाचार की जड़ सूखती है क्योंकि राष्ट्रपति शासन में राजनीति बर्खास्त सी होकर धराशाही सी हो जाती है कुछ बड़ा होगा तो इसकी शुरुआत कुछ ऐसे ही होगी जब सत्य की जय होती है तब झूठ अर्थात भ्रष्टाचार का नाश होता ही है "सत्य मेव जयते"।
$ सुशील चौरसिया जी की रिपोर्ट $
